Narendra Negi
Friday, 29 May 2015
Sunday, 17 August 2014
Bulandi ki udaan
बुलंदी की उडान पर हो तो , जरा सब्र रखो। परिंदे बताते हैं कि , आसमान में ठिकाने नही होते ।। : चढ़ती थीं उस मज़ार पर चादरें बेशुमार , लेकिन बाहर बैठा कोई फ़क़ीर सर्दी से मर गया।। : कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की , जो चाहता था कि.. शादी भी करूँ और ....ख़ुश भी रहूँ ।। : छत टपकती है उसके कच्चे घर की , वो किसान फिर भी बारिश की दुआ माँगता है ।। : तेरे डिब्बे की वो दो रोटिया कही भी बिकती नहीं , माँ ...........होटल के खाने से आज भी भूख मिटती नहीं ।। : इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर " ऐ बेखबर "शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हे....।। : सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर , सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है ।। : लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी , पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया ।। : " मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए , वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।। --------------
Friday, 15 August 2014
keep smiling
The moment you are in tension u will lose your attention,
Then u are in total confusion and you'll feel irritation,
Don't think its my free suggestion
it's only for your prevention,
If u understand my intention,
You'll never come again to Tension!!:):);)
Then u are in total confusion and you'll feel irritation,
Don't think its my free suggestion
it's only for your prevention,
If u understand my intention,
You'll never come again to Tension!!:):);)
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